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Monday, 19 July 2021

1712Ghazal : गज़ल :बोलकर ही नहीं कोई राजी़

 2122 1212 22

काफि़या  अर

रदीफ़ है

कैसा अपना ये देख मुकद्दर है।

मुझसे हर कोई देख बढ़कर है ।


है किया मैंने, जुल्म कोई क्या ?

साथ मेरे ही ऐसा क्यों कर है।


 बोलकर ही नहीं कोई राजी़।

दिल हुआ हर किसी का पत्थर है ।


मुड़ गया मैं, पहाड़ जब देखा ।

दूसरी और तो समंदर है ।


वो है सबसे हसीन दुनिया में।

 बोलता झूठ वो सरासर हैं ।


कर दिया(हो गया)  चीथड़े है दिल मेरा।

 कोई मिलता नहीं रफूगर है।

 4:15 pm 19 July 21