2122 1212 22
काफि़या अर
रदीफ़ है
कैसा अपना ये देख मुकद्दर है।
मुझसे हर कोई देख बढ़कर है ।
है किया मैंने, जुल्म कोई क्या ?
साथ मेरे ही ऐसा क्यों कर है।
बोलकर ही नहीं कोई राजी़।
दिल हुआ हर किसी का पत्थर है ।
मुड़ गया मैं, पहाड़ जब देखा ।
दूसरी और तो समंदर है ।
वो है सबसे हसीन दुनिया में।
बोलता झूठ वो सरासर हैं ।
कर दिया(हो गया) चीथड़े है दिल मेरा।
कोई मिलता नहीं रफूगर है।
4:15 pm 19 July 21
3 comments:
बहुत खूब
बहुत खूब
Thanks ji
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