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Tuesday, 27 July 2021

1720 क्यों तुझे मैं समझ बैठा अपना

 क्यों तुझे मैं समझ बैठा अपना ।

तू आई जिंदगी में ,बनके सपना ।

छुप गई तू आँख खुलते ही ,

सपना हो ना सका कभी अपना ।

क्यों तुझे मैं......

 जिंदगी के ख्वाब सजते ही रहे ।

ख्वाब बनते और बिगड़ते ही रहे।

पूरा कोई भी न हुआ ख्वाब मेरा।

मैंने पूरा ,करना चाहा जितना ।

क्यों तुझे मैं .......

गर्म और सर्द हवाएं देखी ।

प्यार देखा पर जफाएं देखी ।

खुशी और गम के घेरे से ,

न निकल सका, चाहा जो निकलना ।

क्यों तुझे मैं....।

आजा सज के ख्वाब कर पूरे मेरे ।

आजा ले ले, संग मेरे तू फेरे।

दूर रहना ,न अब गवारा है,

जी लिया तन्हा जीना था जितना 

क्यों तुझे मैं....

2 47pm 27 July 2021


4 comments:

Ranbir Balwada said...

Good! Keep it up



Ranbir Balwada said...

👌बहुत बढ़िया संगीता जी 👌

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

Thanks ji

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद