क्यों तुझे मैं समझ बैठा अपना ।
तू आई जिंदगी में ,बनके सपना ।
छुप गई तू आँख खुलते ही ,
सपना हो ना सका कभी अपना ।
क्यों तुझे मैं......
जिंदगी के ख्वाब सजते ही रहे ।
ख्वाब बनते और बिगड़ते ही रहे।
पूरा कोई भी न हुआ ख्वाब मेरा।
मैंने पूरा ,करना चाहा जितना ।
क्यों तुझे मैं .......
गर्म और सर्द हवाएं देखी ।
प्यार देखा पर जफाएं देखी ।
खुशी और गम के घेरे से ,
न निकल सका, चाहा जो निकलना ।
क्यों तुझे मैं....।
आजा सज के ख्वाब कर पूरे मेरे ।
आजा ले ले, संग मेरे तू फेरे।
दूर रहना ,न अब गवारा है,
जी लिया तन्हा जीना था जितना
क्यों तुझे मैं....
2 47pm 27 July 2021
4 comments:
Good! Keep it up
👌बहुत बढ़िया संगीता जी 👌
Thanks ji
धन्यवाद
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