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Sunday, 11 July 2021

1704 खुद पर ज़रा संयम धरो,

क्यों बात बात पर ,

वह हम से टकराते हैं ।

हम जब कुछ कहते हैं तो,

 हमको आंख दिखाते हैं ।


हम तो सीधे-साधे है,

उनकी तरफ की बात करते।

 पर,वह बात नहीं समझते ,

और हमें धमकाते हैं ।


समझ  न आएं उनकी बातें, 

बात-बात पर गुस्सा करना उनकी आदत ,

जब हम कुछ उनसे कहते।

तो कहते हैं आप ही गुस्सा दिलाते हैं ।


वह क्या कोई बच्चे हैं ,

दूसरों के कहने में आते हैं । 

अपना कोई अस्तित्व नहीं क्या,

जो दूसरों से बहक जाते हैं।


 खुद पर ज़रा संयम धरो,

 दूसरों के उकसाने पर धीर धरो ,

धीर धरने से सब कार्य ,

तुरन्त सीधे हो जाते हैं।

6.06pm 11 July 2021

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