क्यों बात बात पर ,
वह हम से टकराते हैं ।
हम जब कुछ कहते हैं तो,
हमको आंख दिखाते हैं ।
हम तो सीधे-साधे है,
उनकी तरफ की बात करते।
पर,वह बात नहीं समझते ,
और हमें धमकाते हैं ।
समझ न आएं उनकी बातें,
बात-बात पर गुस्सा करना उनकी आदत ,
जब हम कुछ उनसे कहते।
तो कहते हैं आप ही गुस्सा दिलाते हैं ।
वह क्या कोई बच्चे हैं ,
दूसरों के कहने में आते हैं ।
अपना कोई अस्तित्व नहीं क्या,
जो दूसरों से बहक जाते हैं।
खुद पर ज़रा संयम धरो,
दूसरों के उकसाने पर धीर धरो ,
धीर धरने से सब कार्य ,
तुरन्त सीधे हो जाते हैं।
6.06pm 11 July 2021
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