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Friday, 16 July 2021

1709 Ghazal : गज़ल : दिल न माने दिमाग की बातें

 2122 1212 22

काफि़या : आ Qafia aa

रदीफ़ : गया कोई, Radeef : Gya Koi

मुझको मुझसे चुरा गया कोई ।

मुझको अपना बना गया कोई ।


अपनी धुन में, ही था हमेशा गुम।

 धुन नई अब ,सुना गया कोई ।


दिल को माना था अपना बरसों से ।

अपना हक क्यों जता गया कोई ।


दिल न माने दिमाग की बातें ।

दोनों को ही लड़ा गया कोई ।


अब नहीं हक, मेरा कोई मुझ पर ।

बात मुझको बता गया कोई।

3.05pm 16 July 2021

4 comments:

Unknown said...

क्या खूब.... वाह

Unknown said...

वाह क्या खूब
बात मुझको बता गया कोई .....

डा यथार्थ

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद जी

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद जी