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Wednesday, 14 July 2021

1707 Ghazal : गज़ल.: काश तुझसे न मैं मिला होता

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काफि़या इला  Qafia ila

रदीफ़ होता Radeef Hota

 गर न तुझको कोई गिला होता ।

तो ये चेहरा तेरा खिला होता ।


दे दिया होता गर सहारा तो ।

अपना गम भी तो फिर सिला होता।


 अब तो ये सोचता ही रहता हूँ।

 काश तुझसे न मैं मिला होता।


 साथ देते सफर में अगर मेरा 

प्यार का फिर बना किला होता।


ढूंँढ लेते कोई सहारा हम, तो फिर, 

जानलेवा न गम मिला होता।

12.40pm 14 July 2021

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