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काफि़या इला Qafia ila
रदीफ़ होता Radeef Hota
गर न तुझको कोई गिला होता ।
तो ये चेहरा तेरा खिला होता ।
दे दिया होता गर सहारा तो ।
अपना गम भी तो फिर सिला होता।
अब तो ये सोचता ही रहता हूँ।
काश तुझसे न मैं मिला होता।
साथ देते सफर में अगर मेरा
प्यार का फिर बना किला होता।
ढूंँढ लेते कोई सहारा हम, तो फिर,
जानलेवा न गम मिला होता।
12.40pm 14 July 2021
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