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Saturday, 10 July 2021

1703 Ghazal : गज़ल: क्यों, छोड़कर मुझको घर गई है वो

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काफिया अर

रदीफ़ गई है वो

नम जो आँखों  को कर  गई है वो।

 दर्द लाखों ही भर गई है वो।।


गम हिज्र (जुदाई) का है जो  दिया उसने 

इश्क को कर अमर  गई है वो।।


ज़िन्दगी में  खुशी थी चाही पर।

ज़िन्दगी गम से भर गई है वो।


छोड़ दी चाह उससे मिलने की 

मान उसको के मर गई है वो।


देख कर इस जमाने के हालात

लगता है मुझको डर गई है वो।


क्या हुआ साथ उसके ऐसा, क्यों,

छोड़कर अपना घर गई है वो।

9.11pm 10 July 2021


            

2 comments:

Rashmi sanjay said...

बहुत बहुत बढ़िया.. वाहहहह

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद जी