2122 1212 22
काफिया अर
रदीफ़ गई है वो
नम जो आँखों को कर गई है वो।
दर्द लाखों ही भर गई है वो।।
गम हिज्र (जुदाई) का है जो दिया उसने
इश्क को कर अमर गई है वो।।
ज़िन्दगी में खुशी थी चाही पर।
ज़िन्दगी गम से भर गई है वो।
छोड़ दी चाह उससे मिलने की
मान उसको के मर गई है वो।
देख कर इस जमाने के हालात
लगता है मुझको डर गई है वो।
क्या हुआ साथ उसके ऐसा, क्यों,
छोड़कर अपना घर गई है वो।
9.11pm 10 July 2021
2 comments:
बहुत बहुत बढ़िया.. वाहहहह
धन्यवाद जी
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