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काफि़या आने
रदीफ़ को
हैं वो बेताब पास आने को।
कह के थे जो गए भुलाने को।
जो थे वादा वो ले गए हमसे।
हमको बरसों लगे निभाने को।।
मुझ पे जो था किया सितम उसने।
दिल नहीं भूलता फसाने को।
मिलते हैं प्यार से जो दिल वाले।
क्या हो जाता है इस जमाने को।।
कैसे होता यकीन हमको ,वो।
करते थे प्यार बस दिखाने को।।
रहते थे पास दिल के जो मेरे ।
अब हैं बेताब दूर जाने को।।
याद आते रहे हमेशा वो,
जिद थी दिल से जिन्हें भुलाने को।।
10.28am 12 July 2021
1 comment:
वो जब याद आए बहुत याद आए
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