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Friday, 9 July 2021

1702 वो नहीं अनजान

 वो नहीं अनजान हमारी नाराजगी से,

इसीलिए शायद कनखियों से देखते हैं।

क्यों दिल्लगी वो  करते हैं हमसे,

क्यों हमारी मासूमियत से खेलते हैं।


कह दो अगर नहीं प्यार अपना गवारा,

छोड़ देंगे आज ही हम साथ तुम्हारा।

इस तरह क्यों बेरुखी करते हैं हमसे,

क्यों वो हमारी जिंदगी से खेलते हैं।


देने को तैयार है हम जान भी उन पर,

बदल लेंगे रास्ता भी,जो चाह है उनकी।

बोलते नहीं कुछ, पलक भी नहीं झपकते,

क्यों वह इस तरह चुप हो कर हमें देखते हैं।


जो हद हो ही चुकी है उनकी ,

जो हम सह नहीं पा रहे हैं यह सब।

हमको भी नहीं आता है यह समझ, 

क्यों हम उनकी बेरुखी को झेलते हैं।

05.12pm 09 July 2021

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