2122 1212 22
काफि़या अती, Qafia ati
रदीफ़ है, Radeef Hai
चोट जब दिल पे, कोई लगती है।
आह फिर जोर की, निकलती है।
दिल पे रखता कोई नहीं मरहम।
इसलिए चोट ये न भरती है ।
कोई सुनता नहीं है दर्दे दिल ।
आग फिर आँसुओं में ढलती है।
जितना भी चाहे ,प्यार करता हूँ।
बेवफाई ,से वो न हटती है ।
रहते हैं दूर दूर वो हमसे।
रूह तन्हा मेरी भटकती है ।
छोड़ दे साथ अब तू मेरा के ।
अब न मुझसे ये शम्मा जलती है।
3.46 pm 3.55 pm 22July 2021
3 comments:
वाह वाह क्या बात है
वाह वाह क्या बात है
धन्यवाद जी
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