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Wednesday, 7 July 2021

1700 Dohe दोहे (मर्यादा)

1)

मर्यादा जो तोड़िये, होता है आघात ।

टूटे से ना ही जुडे़ ,धागा हो या बात।।


2)

सीमा को जो तोड़ दे ,वो क्या पाये जान।

मर्यादा में जो रहे ,पाये वो ही मान।।

3.57pm 4 July 2021

*संगीता शर्मा कुंद्रा, चंडीगढ़*

4 comments:

Rashmi sanjay said...

बढ़िया जी

Unknown said...

ये उत्तम रचना है। काफी दिनों के बाद आपकी रचना पढ़ी, व्यस्त भी था,इसलिए नही पढ़ पाया। ऑनलाइन क्लासेस की तैयारियों में।

Surender Soni Kakrod said...

GAZAB!!!

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

Shukriya ji