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Tuesday 13 July 2021

1706 Ghazal :. गज़ल.: मेरा तन मन, हुआ तुम्हारा है

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काफि़या आरा Qafia Aara

रदीफ़ है.       Radeef Hai

मुझको तो बस तेरा सहारा है।

 साथ तेरे ,समां गुजारा है ।


इस कदर छाई है तू तन मन में।

 मेरा तन मन, हुआ तुम्हारा है।


 दूर जब से, हुई तू ,नजरों से ।

बंद आँखों, से भी निहारा है ।


 मैं हुआ हूँ ,जो तेरा दीवाना।

 तेरी आँखों का खेल सारा है।


 डोलती है यहाँ वहाँ मेरी ,

कश्ती को कब, मिला किनारा है।


 लुट गया सब जो पास था मेरे।

जब से अपने, ये दिल को हारा है।


हो गया है, जो इक दफा देखो।

प्यार होता ,न फिर(कहाँ)दुबारा है ।


आज आशिक खड़ा है जो आगे।

 कल चमकता हुआ सितारा है।

12.30 pm 13 July


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